मैं चरण शरण में आया हूँ भवसागर पार करो
मैं चरण शरण में आया हूँ,
भवसागर पार करो,
गुण नहीं म्हारे में कोई प्रभु,
अवगुण म्हारा ना ध्यान धरो,
मै चरण शरण में आया हूँ,
भवसागर पार करो।।
बन बन भटक्यो बनवारी,
पर दिखी नहीं छवि थारी,
म्हे चारों धाम कर आयो,
पर मुरली सुनी ना थारी,
रही प्रेम री गागर खाली,
रही प्रेम री गागर खाली,
दर्शन देकर के इनने भरो,
मै चरण शरण में आया हूँ,
भवसागर पार करो।।
मन दर्पण धूल उड़ाई,
मनमोहन सूरत दिख आयी,
एड़ी ज्ञान री ज्योत जगाई,
जग लागे कृष्ण कन्हाई,
भगता रे हिय भगवान सदा,
भगता रे हिय भगवान सदा,
यो पुरो कोल करो,
मै चरण शरण में आया हूँ,
भवसागर पार करो।।
मैं चरण शरण में आया हूँ,
भवसागर पार करो,
गुण नहीं म्हारे में कोई प्रभु,
अवगुण म्हारा ना ध्यान धरो,
मैं चरण शरण में आया हूँ,
भवसागर पार करो।।
गायक -“श्री सम्पत दाधीच”
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