।। दोहा ।।
राम किसी को मारे नहीं ,नहीं है पापी राम।
अपने आप मर जावसी ,कर कर खोटा काम।
इस काया का भेद ,
गुरु बिन कोई नहीं पाया है।
कोई नहीं पाया है ,
गुरु बिन कोई नहीं पाया है।
सूर्य चन्द्रमा गण और तारे ,
ये भी आया है।
धरण गगन पवना और पानी ,
अधर ठहराया है।
इस काया का भेद ,
गुरु बिन कोई नहीं पाया है।
आप निरंजन अंदर बाहर ,
जगत रचाया है।
समृद्ध होय सकल में व्यापक ,
नजर नहीं आया है।
इस काया का भेद ,
गुरु बिन कोई नहीं पाया है।
लख चौरासी जिव बनाकर ,
कलंक लगाया है।
पाप से वो भोगे चौरासी,
स्वर्ग चढ़ाया है।
इस काया का भेद ,
गुरु बिन कोई नहीं पाया है।
नवलनाथ सतगुरु मिलिया पूरा ,
भरम मिटाया है।
पदमनाथ का मेट्या सपना ,
तखत रचाया है।
इस काया का भेद ,
गुरु बिन कोई नहीं पाया है।
इस काया का भेद ,
गुरु बिन कोई नहीं पाया है।
कोई नहीं पाया है ,
गुरु बिन कोई नहीं पाया है।
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इस काया का भेद गुरु बिन कोई नहीं पाया es kaya ka bhed guru bin koi nahi paya guru ke bhajan lyrics
सतगुरु भजन लिरिक्स इन हिंदी
भजन :- गुरु बिन कोई नहीं पाया
गायक :- राज मेवाड़ा