।। दोहा ।।
दिन रा बातां बांचणियाँ , तो रातूं लेवे नींद ।
राम भजन ओ कैसे सुणे ,ओ दोय बहूरो बींद ।
उण घर जाइजे म्हारी नींद ,
जिण घर राम नाम नहीं भावे ।
राम नाम नहीं भावे रे जिण घर ,
हरी भजन नहीं भावे ॥
का जाइजे तू राज द्वारे ,
का रसिया रस भोगी ।
म्हारो लारो छोड़ बावळी ,
मैं हूँ रमता जोगी ।
उण घर जाइजे । …
भरी सभा में कूड़ो रे बोले ,
निन्दिया करे पराई ।
वो घर हमने तुमको सौंपा ,
जाजे बिना बुलाई ।
उण घर जाइजे । …
ऊँचा मन्दिर और सखी री ,
कामणी चँवर ढूलावे ।
म्हारे संग काँई लेवे बावळी ,
राख में दुख पावे ॥
उण घर जाइजे । …
केवे भरतरी सुण म्हारी निदरा ,
यहाँ नहीं तेरा वासा ।
राज छोड़ने लिवी फकीरी ,
गुरांरे मिलण , हरी रे मिलण ,
म्हारे अलख मिलणरीआशा ॥
उण घर जाइजे । …
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भजन :- उण घर जाइजे वैरण नींद
गायक :- अनिल नागौरी