।। दोहा ।।
मैं हिमाचल की बेटी,मेरा भोला बसे काशी,
सारी उमर तेरी सेवा करुँगी,बनकर तेरी दासी।
ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया ।
ऐंसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया।।
डमरू को सुनकर कान्हा जी आए,
कान्हा जी आए संग राधा भी आए ।
वहाँ सखियों का मन भी मगन हो गया।
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया।
ऐसा डमरू…..
डमरू को सुनकर जी गणपति चले,
गणपति चले संग कार्तिक चले।
वहाँ अम्बे का मन भी मगन हो गया।
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया।
ऐसा डमरू…..
डमरू को सुनकर जी रामा जी आए,
रामा जी आए संग लक्ष्मण जी आए।
मैया सिता का मन भी मगन हो गया।
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया।
ऐसा डमरू…..
डमरू को सुनकर के ब्रम्हा चले,
यहाँ ब्रम्हा चले वहाँ विष्णु चले।
मैया लक्ष्मी का मन भी मगन हो गया।
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया।
ऐसा डमरू…..
डमरू को सुनकर जी गंगा चले,
गंगा चले वहाँ यमुना चले।
वहाँ सरयू का मन भी मगन हो गया।
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया।
ऐसा डमरू…..
डमरू को सुनकर जी सूरज चले,
सूरज चले वहाँ चंदा चले।
सारे तारों का मन भी मगन हो गया।
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया।
ऐसा डमरू…..
ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया ।
ऐंसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया।।
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भजन :- ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने
गायक :- हंसराज रघवंशी