।। दोहा ।।
लिखने वाले कवी लोग यह बात लिख जाते है।
समय आने पर सड़े प्याज चौराह पर बिक जाते है। ।
~ सिंगोली रा श्याम भजन ~
सिंगोली रा श्याम मारा ,
चारभुजा रा नाथ सा।
काला पण गणा रुपाला सा,
सिंगोली रा श्याम । २
पेच्या सोवे केशरिया ,
सर पतरंगी पाग सा।
ओ दाढ़ी में हीरो चमके सा ,
चारभुजा रा नाथ सा.२
सिंगोली रा श्याम मारा ,
चारभुजा रा नाथ सा।
काला पण गणा रुपाला सा,
सिंगोली रा श्याम । २
आमे सामे बावड़ी सा ,
निर्मल जाको नीर सा.
पिनहारिया पाणी भरे ,
ओड दकनी चीर सा। २
माने गड़ो उचाता जाज्यो सा।
चारभुजा रा नाथ
सिंगोली रा श्याम मारा ,
चारभुजा रा नाथ सा।
काला पण गणा रुपाला सा,
सिंगोली रा श्याम । २
अरे सोहण कटारो सोवणो ,
सोरतडी तलवार सा।
हाथा में भाला सोवे।
सा चारभुजा रा नाथ। २
सिंगोली रा श्याम मारा ,
चारभुजा रा नाथ सा।
काला पण गणा रुपाला सा,
सिंगोली रा श्याम । २
धोळो घोड़ो हाथलो ,
मोतिया जड़िया पलान सा।
गोड़ला ने थोड़ो गुमादियो सा,
चारभुजा रा नाथ। २
सिंगोली रा श्याम मारा ,
चारभुजा रा नाथ सा।
काला पण गणा रुपाला सा,
सिंगोली रा श्याम । २
सांज सवेरे होव आरती ,
जालर की झंकार सा।
परासर चवरी धुलावे सा ,
चारभुजा रा नाथ। २
सिंगोली रा श्याम मारा ,
चारभुजा रा नाथ सा।
काला पण गणा रुपाला सा,
सिंगोली रा श्याम । २
चारभुजा की लावणी ,
गावे हरिका लाल सा।
संकट में साय कीज्यो सा ,
चारभुजा रा नाथ। २
सिंगोली रा श्याम मारा ,
चारभुजा रा नाथ सा।
काला पण गणा रुपाला सा,
सिंगोली रा श्याम । २
सिंगोली रा श्याम मारा ,
चारभुजा रा नाथ सा।
काला पण गणा रुपाला सा,
सिंगोली रा श्याम । २
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