।। दोहा ।।
शीश चंद्र गले शेषनाग , और बाघम्बर धारी।
कर में डमरू त्रिशूल सोहे , नंदी की असवारी।
कालन में महाकाल कहाऊ ,
देवा में महादेव हरे।
नहीं बुरो नहीं जाल है मारे ,
मारा घर को नावटो कुणी करे।
लक्मी पति गरुड़ चढ़ आवे ,
मारी दर्शन इच्छा पूरी करे।
गरुड़ देख कर नाग ये मारा ,
बिल देख ने गुस्या भिरे।
कालन में महाकाल। …….
गणो लाड़लो बैठो गजानंद ,
या दुनिया पूजा प्रथम करे।
लम्बी पूछ को लावे उंदरों ,
मारी जटा क़तर नुकसान करे।
कालन में महाकाल। …….
कार्तिक कैलाश में आवे ,
मोर की सवारी करे।
छतर कर कर नाचे मोरियो ,
मोर देख मारा नाग डरे।
कालन में महाकाल। …….
मारे सवारी है नांदिया की ,
यो हरियो हरियो घास चरे।
घर की लुगाई बैठे नार पे ,
नार देख नन्द बाबो फिरे।
कालन में महाकाल। …….
ग्यारा मुंडा दोई बाप बेटा के,
बारवो हाथी पेट भरे।
घर को धनी धूणी पे बैठे,
काम कोड़ी को ना ही करे।
कालन में महाकाल। …….
असल दाळीदर नाम है मारो ,
छीजन सु मारे गाठ भरे।
पाप को पाणी कोई नहीं पीवे ,
बेन मारी घर घर फिरे।
कालन में महाकाल। …….
मरिया पशु को लावे चामडो ,
इससे मारो सिंगार करे।
भचु पकड़ करे मने धधुने ,
एक पड़े और दो उगडे।
कालन में महाकाल। …….
दुःख सुख तो आवे और जावे ,
धुप छाया का खेल करे।
हरी करे सो खरी उकारा ,
गुरु चेतन बेडा पार करे।
कालन में महाकाल। …….
कालन में महाकाल कहाऊ ,
देवा में महादेव हरे।
नहीं बुरो नहीं जाल है मारे ,
मारा घर को नावटो कुणी करे।
कालों में महाकाल कहावे भजन लिरिक्स alan me mahakal kahau jagdish vaishnav bhajan mahakal ke bhajan