केवे भाटी हरजी सुणो गुरुदेवा,
जनम जनम बाबा करूँ चरणा की सेवा।।
न कोई बात पीर जी आपके छाने,
थोड़ी तो सुनो बाबा हरजी के काने।।
या संसार प्रभु खण्डन कद हेला,
यही तो कह जाओ मारा गिरधर लाला।।
सतजुग द्वापर त्रेता कलजुग लागेला,
कलजुग में कला को उपयोग होवेला।।
चली जासी जागीरी महल सुना ही पड़ेला,
प्रजा का बनेला राजा हुकम चलेला।।
ब्राह्मण होकर हरजी वेद नही जाणेला,
मद रे मांस का ब्राह्मण भोजन करेला।।
ब्राह्मण की बेटी वो हरिजन फेरा फरेला,
जात रे मर्यादा हरजी फेर नही रेवेला।।
हिन्दू मुस्लिम हरजी सिख ईसाई,
सुण मारा हरजी चारों एक हो जाई।।
बाप बेटा की हरजी नोकरी करेला,
माई बेटियां हरजी भेद नही जाणेला।।
गंगा जमुना सरस्वती की धारा,
बेरिया खुदेला जल सुख जासी सारा।।
राजा इन्द्र कड़केला अग्नि बरसैला,
बल जल संसार सारी प्रलय होवेला।।
साधु संन्त थारा भजन करेला,
सुणो मारा बावजी वो कसेन बचेला।।
गट्टी चाकी के बीच दाना बचेला,
सुण हरजी मारा भगत बचेला।।
फेर जनम ले धरती पे आंवाला,
धोला नाम री धजा फडूकावाला।।
गढ़ चितौड़ चवरी दिल्ली में डेरा,
आबू मारूँला तोरण बिलाड़ा में फेरा।।
सुणबा वाला के धणी आप रिज्यो पासा,
सत्संग करे ज्याने अन्न दीज्यो दाता।।
अन्न धन बैकुंठा को वास नही छाउ,
जनम धरु मैं पीर जी भक्ति पाऊ।।
अजमल सुत बाबो राम देव जी बोले,
सत प्रमाण बाबो साँचा तोले।।
आप मिलिया पीर जी धणी माने मोटा,
जनम जन्म का भाग गया टोटा।।
शरणे आया पीर जी गणा सुख पाया,
बाव जी का भजना सूं गंगा जी मे नाया।।
कोई भक्ता के संका जो होवे,
मेघड़ी प्रमाण पडिया भ्रम सब खोवे।।
हरि शरणे भाटी हीरानन्द बोले,
प्रशन उत्तर बावजी हिरदा में तोले।।
केवे भाटी हरजी सुणो गुरुदेवा,
जनम जनम बाबा करूँ चरणा की सेवा।।