।। दोहा ।।
गुरु मूर्ति मुख चंद्रमा ,सेवक नैनी चकोर।
अष्ट पोर निरकती रहु ,गुरु चरण की और।
गुरु मारा पारस ,पवन पथ जीना ,
सायर वाली दाता लेरा करे।
हंसला री गुरु ग़म हंसलो ही जाने ,
हंस हीरा रा मोल करे। ओजी।
गुरु मारा पारस पत्थर ने पूजे ,
पारस संग ले पत्थर तीरे।
पत्थर तीरे वाने प्रेम जल पावे ,
पारस पेला पार करे। ओजी।
गुरु मारा पारस। ……
गुरु मारा पारस बेल ने हाके ,
सत शब्दा वाली हाक करे।
ज्ञान की डोरी ,प्रेम की प्राणी ,
हलकारा सु शाम ढ़ले। ओजी।
गुरु मारा पारस। ……
गुरु मारा पारस हेत वाला हीरा ,
हंस मिलिया गुरु हेत करे।
हंसा रा जोड़े बैठे कागलो ,
कागा ने गुरु हंस करे। ओजी।
गुरु मारा पारस। ……
बादली ज्यू बरसे बिजली ज्यू चमके ,
जर जर जरना नीर जरे।
नीर जरे उठे प्रेम जल लागो ,
पिया पिया का पगत भरे। ओजी।
गुरु मारा पारस। ……
निर्भय राम कनीराम जी मलिया ,
गुरु बल ऊपर दया करे।
भवानी नाथ यो के समजावे ,
आप गुरा ने याद करे। ओजी।
गुरु मारा पारस। ……
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