गणा दिन सो लियो रे ,अब जाग सके तो जाग।
पहलो सोयो मात गरभ में,उल्टा पाव फ़सार। २
बोल वचन कर बहार आयो। भूल गयो जगदीश।
जन्म थारो हो लियो रे। अब जाग सके तो जाग।
गणा दिन सो लियो रे ,अब जाग सके तो जाग।
दूजो सोयो माँत गोद में ,हस हस दांत दिखाय। २
बहन भुआ सब लाड लड़ावे। हो रयो मंगला चार।
लाड थारो होरयो रे। अब जाग सके तो जाग।
गणा दिन सो लियो रे ,अब जाग सके तो जाग।
तीजो सोयो स्त्रिया संग में ,गले में बाहे डाल। २
किया भोग सब रोग से दुखिया।तन हो गयो बेकार।
विवाह थारो होरियो रे। अब जाग सके तो जाग।
गणा दिन सो लियो रे ,अब जाग सके तो जाग।
चोथो सोयो शमशाना में ,लम्बे पाँव फसार।२
कहे कबीर सुणो रे भई संतों।जीव अग्नि में जाय,
प्रण थारो हो रियो रे। अब जाग सके तो जाग।
गणा दिन सो लियो रे ,अब जाग सके तो जाग।
भजन :- घणा दिन सो गयो रे
गायक :- अनिल नागौरी