भजन घर की शान बेटियां पिता का मान बेटियां लिरिक्स
गायक – विक्की डि पारेख मुम्बई।
तर्ज – स्वर्ग से सूंदर सपनो से।
घर की शान बेटियां,
पिता का मान बेटियां।
सदियो से में तरस रहा था,
जिसका था इंतजार,
इस जनम में आकर मिला,
मुझे बेटियो का प्यार,
वो घर की शान बेटिया,
पिता का मान बेटियां।।
रोशन है जिससे मेरे,
घर का हर कोना,
दुनिया की दौलत है ये,
यही चांदी सोना,
संकट में ये साथ निभाती,
हो चाहे मजबूर,
वो घर की शान बेटिया,
पिता का मान बेटियां।।
और क्या मैं मांगु भगवन,
इतना दिया है,
दो दो बेटियों से दामन,
मेरा भर दिया है,
‘गायत्री’ गम मेरे भुलाकर,
‘अनन्या’ करती प्यार,
वो घर की शान बेटिया,
पिता का मान बेटियां।।
सदियो से में तरस रहा था,
जिसका था इंतजार,
इस जनम में आकर मिला,
मुझे बेटियो का प्यार,
वो घर की शान बेटियां,
पिता का मान बेटियां।।
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