।। दोहा ।।
सबदा मेरा मर गया , सबदा छोडियो राज।
ज्यो ज्यो सबदा विचारिया ,वारा सरिया काज।
जुबान जेसी मीठी जगत में ,
जुबान जैसी खारी क्या।
मानुस मत ना फिरो फटकता ,
जीते बाजी हारो क्या।
पानी ना जाती घड़ा ना धोती ,
वो नारी पनिहारी क्या।
अपने पति संग कपट राखती ,
वो पतिव्रता नारी क्या।
जुबान जेसी ….
ब्राह्मण होकर वेद ना पड़ता ,
वो ब्राह्मण ब्रह्मचारी क्या।
साधु होकर तिरिया रखता ,
वो साधु तपधारी क्या।
जुबान जेसी ….
हाकम होकर न्याय ना करता ,
उसकी हाकमदारी क्या।
मित्र होकर धोका करले ,
उस मित्र संग यारी क्या।
जुबान जेसी ….
बिन कुए एक बाग़ लगाया ,
फूलन की हुसियारी क्या।
बिन महावत एक हाथी देख्या ,
बिन राजा असवारी क्या।
जुबान जेसी ….
क्षत्रिये होकर पीठ दिखावे ,
वो राजा क्षत्रधारी क्या
अणतुराम उस्ताद हमारा ,
मूरख संग लाचारी क्या।
जुबान जेसी ….
जिस नगरी में दया धर्म नहीं ,
उस नगरी में रहना क्या।
कहे मछँदर सुन जती गोरख ,
नहीं माने उसे कहना क्या।
जुबान जेसी मीठी जगत में ,
जुबान जैसी खारी क्या।
मानुस मत ना फिरो फटकता ,
जीते बाजी हारो क्या।
जुबान जैसी मीठी जगत में जुबान जैसी खारी क्या juban jaisi meethi jagat mein sunita swami ke bhajan
सुनीता स्वामी के भजन in hindi lyrics
भजन :- जुबान जैसी मीठी जगत में
गायिका :- सुनीता स्वामी