आ लौट के आओ जम्भ देव , तुझे तेरे सन्त बुलाते हैं ।
उनतीस नियम गए भूल , तुझे तेरे संत बुलाते हैं ।
सूना पड़ा है गाँव दीपासर , सूनी डगरिया सारी ।
सूना जंगल समराथल रा , भवन जोत जहाँ सारी ।
आवोगे लोवट जी के लाल ,तुझे तेरे संत बुलाते हैं ।
आ लौट के आओ। …..
धरम धजा थांरी झुकने लागी , पाप ने पैर पसारा ।
पाप घटा बण बरसण लागी , भरिया पाप रा बेड़ा ।
ज्याँ में डूब रहा संसार , तुझे तेरे संत बुलाते है ।।
आ लौट के आओ। …..
चले गए वैकुण्ठपुरी में , सूनी पड़ी जम्भ गीता ।
रो रोकर हम तुम्हें पुकारे , जैसे लंक में सीता ।
कब धरोगे राम अवतार , तुझे तेरे संत बुलाते हैं ।।
आ लौट के आओ। …..
कामक्रोध मदलोभ मोह ने , आय चहुँ दिशघेरा ।
हाथ कमण्डल धरकर आवो , देवो नामका सहारा ।
गावे जम्भ मण्डल गुणगान , मेवाड़ी भजन सुणाते हैं ।।
आ लौट के आओ। …..
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आ लौट आजा जम्भदेव
गायक :- राजू राम