।। दोहा ।।
भक्त बीज पलते नहीं , जो झुक जाये अनन्त।
उच नीच कर अवतरे , वो रहे संत को संत।।
थाली भर के लाई खीचड़ो ,
ऊपर घी की बाटकी।
जीमो मारा श्याम धणी ,
जिमावे बेटी जाट की। २
दादो मारो गांव गयो है ,
कुण जाणे कद आवगो।
दादा रे भरोसे सवारों ,
भूखो रे मर जावेलो।
आज जिमाऊ थाने खीचड़ो ,
ऊपर घी की बाटकी ,
जीमो मारा। ……
बार बार मंदिर में जाती ,
बार बार पट खोलती।
कैय्या क्यों ना बोलू मोहन ,
करणी करणी बोलती।
थू जिमे जद में जीमुला ,
मानु ना कोई जाट की।
जीमो मारा। ……
परदो करणो भूल गई में ,
परदो फेर लगाओ है ।
परदा रे तो आले बैठ ने ,
श्याम खीचड़ो खायो है ।
भोला रे भक्ता रा भिड़ु ,
कैय्या राखे ठाट की।
जीमो मारा। ……
भक्ति हो तो करमा जैसी ,
सांवरियो घर आयो है।
सोहन लाल लुहागर प्रभु का ,
हरस हरस गुण गावे है।
साचो प्रेम प्रभु में वे तो ,
मूरत बोले भाट की।
जीमो मारा। ……
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