निरधन रो धन गिरधारी ,
निरधन रो धन गिरधारी ।
निरधन रो धन साँचो सांवरो ,
निरधन रो धन गिरधारी ॥
दुर्बल जात सुदामा कहिये ,
पूछत है उनकी नारी ।
हरी सरीखे मित्र तुम्हारे ,
अजहुं न गई दुबध्या थारी ॥
निरधन रो धन । ….
तिरिया जात समझ बिन बोले ,
क्या कुमति भई मति थारी ।
कर्मों में दाळिदर लिखिया ,
क्या करे वो गिरधारी ॥
निरधन रो धन । ….
दो – दो पेड़ कदम्ब के तारे ,
तार दई गौतम नारी ।
विश्वामित्र को यज्ञ सफल करि ,
आप बने हरी अवतारी ॥
निरधन रो धन । ….
एक विश्वास राख एक धारा ,
सबको पूरण गिरधारी ।
दास सुदामा राख भरोसो ,
कंचन महल हुआ त्यारी ॥
निरधन रो धन । ….
प्रकाश माली के भजन video
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भजन :- निरधन रो धन गिरधारी
गायक :- प्रकाश माली