।। दोहा ।।
अभिमानी से जात है , राज तेज और वंश।
तीनो ताला दे गया , रावण कौरव कंश।
नीच नीचता त्यागे कोनी। २
कितना ही सत्कार करो।
काजल नाही सफ़ेद हिए,
चाहे नीच को शीश हजार करो। २
निचे से जड़ काटन आला।
मुख पर मीठी बात करे। २
धोखा देकर गला काट दे।
डाव देखकर घात करे। २
मात पिता से करे लड़ाई।
रोड खड़ा उत्पात करे। २
बिना बुलाये पर घर जाकर।
मुख देखि पंचायत करे। २
बयमानो से बच कर रहना।
कभी नहीं व्यावार करो। २
काजल नाही सफ़ेद हिए,
चाहे नीच को शीश हजार करो। २
अपने आप बड़ाई करके।
असली दोस छिपा लेते। २
दो आने के लालच में पड़ ।
जूठा धर्म उठा लेते। २
मतलब होव जद पेट में पड़कर।
धोका दे धन खा जाते। २
बिना मतलब से मुख नहीं बोले।
अपनी नजर बचा लेते। २
दे विश्वास देगा दे जाते।
कितना चाहे प्यार करू। २
काजल नाही सफ़ेद हिए,
चाहे नीच को शीश हजार करो। २
मन में रखता बेईमानी रे ।
ऊपर बात सफाई की। २
कपट फंद छल धोका देकर।
नाड काट दे भाई की। २
बहन भानजी समझे नाही।
ना ही साख जमाई की। २
मण भर दूध सकती।
एक बून्द खटाई की। २
बाण कुबान दुस्त नहीं भागे।
कितना चाहे प्यार करू। २
काजल नाही सफ़ेद हिए,
चाहे नीच को शीश हजार करो। २
नीच नीचता त्यागे कोनी भजन nich nichta tyage koni bhajan, anil nagori bhajan