।। दोहा ।।
गंगा जमना सरस्वती ,भगीरथ रे भाव।
मृत्यु लोक में गंगा लायो ,तप ने एकण पाँव।
घणा कोड सूं लायो ,
म्हें तो लायो चुनड़ी ।
प्यारी लागे ओ ,
माता जी री चुनड़ी ।
जसोल नगरी में ,
धाम हैं प्यारो ।
लाल कसूंबल माता ,
ओढो चुनरी ॥
प्यारी लागे ओ ,
माता जी री चुनड़ी ।
सोना रूपा रा ,
तार चुनड़ी रे माँहि ।
सिर पर माता ,
थारे चमके चुनड़ी ।
प्यारी लागे ओ ,
माता जी री चुनड़ी ।
भगत माता जी थारी ,
चुनड़ी रंगाई ।
हीरा पन्ना सु ,
चम – चम चमके चुनड़ी ।
प्यारी लागे ओ ,
माता जी री चुनड़ी ।
चुनड़ी री छाया माताजी ,
राखो भगतां पर ।
दास प्रकाश थारी ,
गाई चुनड़ी ॥
प्यारी लागे ओ ,
माता जी री चुनड़ी ।
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