।। दोहा ।।
राम किसी को मारे नहीं ,और नहीं पापी राम।
अपने आप मर जीवसी , कर कर खोटा काम।
प्रभुजी मेरे अवगुण चित न धरो।
समदर्शी है नाम तिहारो ,
चाहे तो पार करो।
एक लोहा पूजा में राखत ,
एक घर बधिक परो।
सो दुविधा पारस नहीं जानत ,
कंचन करत खरो।
प्रभुजी मेरे ….
एक नदिया एक नार कहावत ,
मैलो नीर भरो ।
जब मिलि दोनों एक बरन भये ,
सुरसरि नाम परो ।
प्रभुजी मेरे ….
एक माया एक ब्रह्मा कहावत ,
सूरदास झगरो।
अबकी बार मोहे पार लगाओ ,
नहीं प्रण जात टरो।
प्रभुजी मेरे ….
प्रभु जी मेरे अवगुण चित ना धरो लिरिक्स prabhu ji mere avgun chit na dharo सूरदास जी के भजन
भजन :- प्रभुजी मेरे अवगुण चित न धरो
गायिका :- कविता कृष्णामूर्ति