।। दोहा ।।
वस्तु कहा ढूंढे कहा, ओर कीण वीद आवे हाथ।
वस्तु ठीकाणे पाईये – जब भेदी लीना साथ।
बिना भेद बाहर मत भटको ,
बाहर भटक्या हे काई।
68 तीरथ यहा बता दु ,
कर दर्शन काया माही।
पावो मे तेरे पदम बीराजे ,
पीन्डली मे भगवन याही।
गोडे मे गोरख का वासा ,
गुम रहा दुनीया माई।
बिना भेद ….
जांगो मे जगदीश बीराजे ,
कमर केदारथ हे याही।
देही मे देवी का वासा ,
अखंड जोत जलती याही।
बिना भेद ….
हाथ बने हस्तनापुरी ,
उंगली बने पांचो पांडव।
सीने मे हनुमान बीराजे ,
लडने से डरता नाही।
बिना भेद ….
मुख बना तेरा मक्का मदीना ,
नाक मे दरगा हे याही।
कान बने कनकापुर नगरी ,
सत वचन सुनले याही।
बिना भेद ….
नेत्र बने तेरे चंदा सुरज ,
देख रहा दुनीया मायी।
कहे कबीर सुनो भई साधो ,
लिख्या लेख मिटता नाही
बिना भेद ….
old bhajan lyrics | तारा सिंह डोडवे का भजन video
बिना भेद बाहर मत भटको bina bhed bahar mat bhatko मारवाड़ी भजन लिरिक्स इन हिंदी marwadi desi bhajan old bhajan lyrics तारा सिंह डोडवे का भजन | मारवाड़ी भजन लिरिक्स इन हिंदी
भजन :- बिना भेद बाहर मत भटको
गायक :- तारा सिंह डोडवे