।। दोहा ।।
मात पिता परमात्मा , पति सेवा गुरु ज्ञान।
इण से हिल मिल चालिये , वो नर चतुर सुजान।।
बेटा शरवण पाणीड़ो पिलाय ,
वन में बेटा प्यास लगी। २
आला लीला बांस कटाया ,
कावड़ ली रे बनाय। २
मात पिता ने माय बिठाया ,
तीर्थ करवा ने जाय। २
बेटा शरवण। ……..
ना कोई है कुआ बावड़ी ,
ना कोई समंद तलाव।
तब शरवन ने मन में सोची ,
कहा जल पाउ मारी माई। २।
वन में बेटा प्यास लगी।
बेटा शरवण। ……..
ऊचा निचा कदम के ऊपर ,
बगुला उड़ उड़ जाय।
तब सरवन ने मन में धारी ,
अब जल पाउ मारी माई।
वन में बेटा प्यास लगी।
बेटा शरवण। ……..
ले जारी अब शरवन चाल्यो ,
गयो शरवर रे पास।
जाय नीर जकोरियो रे ,
दशरत मारियो शक्ति बाण।
वन में बेटा प्यास लगी।
बेटा शरवण। ……..
दशरत वहा से चालियो रे ,
आयो शरवण रे पास।
है विधाता क्या कर डाला ,
मारियो भांजा रे बाण।
वन में बेटा प्यास लगी।
बेटा शरवण। ……..
मरतो शरवण बोलियों रे ,
सुण मामा मारी बात।
अँधा है मारा मात पिता जी ,
वाने पाणीड़ो पिलाये।
वन में बेटा प्यास लगी।
बेटा शरवण। ……..
ले जारी अब दशरत चाल्यो ,
गयो कावड़ रे पास।
ठंडो जल भर लायो जारी ,
अब जल पियो मारी माई।
वन में बेटा प्यास लगी।
बेटा शरवण। ……..
नहीं शरवण की बोली कहिजे ,
नहीं शरवण की चाल।
मात पिता तो स्वर्ग सिधारिया ,
दशरत ने दिनों वठे श्राप।
वन में बेटा प्यास लगी।
बेटा शरवण पाणीड़ो पिलाय ,
वन में बेटा प्यास लगी। २
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