।। दोहा ।।
यह तन विष की बेलरी, गुरु अमृत की खान ।
शीश दियो जो गुरु मिले, तो भी सस्ता जान ।
मन मस्त हुआ फिर क्या बोले।
क्या बोले फिर क्या बोले ,
मस्त हुआ फिर क्या बोले।
हीरा पाया बाँध गठरियाँ ,
बार बार बांको क्यों खोले।
मन मस्त हुआ फिर क्या बोले।
हंसा नहावे मान सरोवर ,
ताल तलैया क्यों नहावे ।
मन मस्त हुआ फिर क्या बोले।
हल्की थी तब चढ़ी तराजू ,
पूरी भई बांको क्यों तोले।
मन मस्त हुआ फिर क्या बोले।
सूरत कलाळी भई मतवाली ,
मदवा पी गयी अण तोले।
मन मस्त हुआ फिर क्या बोले।
तेरा सायब है तुझ माही ,
बाहर नैना क्यों खोले।
मन मस्त हुआ फिर क्या बोले।
कहत कबीर सुनो भाई साधो ,
साहेब मिल गये तिल तोले।
मन मस्त हुआ फिर क्या बोले।
कालूराम बामनिया के भजन video
मन मस्त हुआ फिर क्या बोले man mast hua phir kya bole kabir das ji ke bhajan
कबीर दास जी के भजन लिखे हुए in hindi
भजन :- मन मस्त हुआ फिर क्या बोले
गायक :- कालूराम बामनिया