।। दोहा ।।
कबीरा खड़ा बाजार में ,सब की मांगे खेर।
ना किसी से दोस्ती , और ना किसी से बेर।
मैं अपने राम को रिझाऊं।
राम को रिझाऊं ,
अपने श्याम को रिझाऊं।
मैं अपने राम को रिझाऊं।
डाली छेड़ू न पत्ता छेड़ू ,
ना कोई जिव सताऊं।
पात पात में प्रभु बसत है ,
वाही को शीश नवाऊँ।
मैं अपने ….
गंगा ने जाऊ जमुना ने जाऊ ,
ना कोई तीरथ नहाऊं।
अडसठ तीरथ घट के भीतर ,
तिन्ही में मलके नहाऊं।
मैं अपने ….
ओषधि खाऊं ना बूटी लाऊँ ,
ना कोई वैध बुलाऊँ।
पूर्ण वैध अविनासी ,
वाही को नबज दिखाऊं।
मैं अपने ….
ज्ञान कुठारा कस कर बाँधू ,
सूरत कमान चढ़ाऊँ।
पांच चोर बसे घट भीतर ,
तिनको मार गिराऊं।
मैं अपने ….
योगी होऊं न जटा बढ़ाऊ ,
ना अंग विभूत रमाऊँ।
जेहि का रंग रंगे विधाता ,
और क्या रंग चढ़ाऊँ।
मैं अपने ….
चंद्र सूर्ये दोऊ समकार राख्यो ,
निजमन सेज बिछाऊं।
कहत कबीर सुनो भाई साधो ,
आवागमन मिटाऊं।
मैं अपने ….
मैं अपने राम को रिझाऊं।
राम को रिझाऊं ,
अपने श्याम को रिझाऊं।
मैं अपने राम को रिझाऊं।
sanjeev dabloo bhajan video
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कबीर भजन माला हिंदी lyrics
भजन :- मैं अपने राम को रिझाऊं
गायक :- संजीव डब्लू