।। दोहा ।।
गुरु पारस को अन्तरो, जानत हैं सब सन्त।
वह लोहा कंचन करे, ये करि लये महन्त॥
सतगुरु मेरा ऐसा रंग चढ़ाया,
गुरासा ऐसा रंग चढ़ाया।
जो न उतरे तीन काल में,
दिन दिन होत सवाया।
छीपी छाप सके नहीं वैसा,
ना रंगरेज रंगाया।
कहन सुनन में आवत नाही ,
सतगुरु सैन बताया।
गुरासा ऐसा रंग चढ़ाया।
सतगुरु मेरा ….
श्याम श्वेत पीला नहीं नीला ,
अदभुत वर्ण बनाया।
नेत्र नहीं पहचान सकत है,
गुरु गम भेद लखाया।
गुरासा ऐसा रंग चढ़ाया।
सतगुरु मेरा ….
ह्रदय वस्त्र पर रंग भक्ति का,
लागत परम सुहाया।
ज्ञान विज्ञान लहरिया कीन्हा,
ओढ़ परम सुख पाया।
गुरासा ऐसा रंग चढ़ाया।
सतगुरु मेरा ….
चम्पानाथजी प्रेम के रंग में,
रंग कत्था पहिनाया।
सहज शून्य में लगी समाधी,
बठे अमृतनाथजी सुहाया।
गुरासा ऐसा रंग चढ़ाया।
सतगुरु मेरा ….
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सतगुरु मेरा ऐसा रंग चढ़ाया satguru mera aisa rang chadhaya सतगुरु भजन लिरिक्स इन हिंदी
सतगुरु भजन लिरिक्स इन हिंदी
भजन :- गुरासा ऐसा रंग चढ़ाया
गायक :- विकास नाथ जी महाराज