।। दोहा ।।
देवी बड़ी न देवता – और न सुरज न चांद।
आदि अंत दोनो बड़े – के गुरु के गोविन्द।
सत री संगत गंगा गोमती ,
सुरसत कासी परीयागा ।
लाखो पापीडा ईणमु उबरीया ,
डर जमडा रा भागा।
ध्रुव जी और पहलाद न ,
सत्संग नारद जी से कीनी।
विष्णु पुरी बैकुंठ मु ,
सुरपत आदर वान दीदी।
सत री संगत ….
रतना करमा सबरी भीलणी ,
धन्ना पीपा नामा सना।
सत्संग रा प्रताप से ,
पाइ सुखडे री धामा।
सत री संगत ….
सज खानरो एक बाजता ,
नरपत कन्या मन चाही।
सत्संग रा प्रताप से ,
रूपा भेट चडाई।
सत री संगत ….
जीण रे भुमी सु रघुवर नीकलीया ,
वा रज चरणा री लागी।
चरण पका रत अहिल्या उबरी ,
दिल री दुर मत भागी।
सत री संगत ….
धुल धर गज सीस पे ,
ईश्वर मन भाई ।
जीण रज सु अहिल्या उबरी ,
वो रज खोज गजराई।
सत री संगत ….
श्याम पालीवाल भजन | suresh goyal ke bhajan video
सत री संगत गंगा गोमती sat ri sangat ganga gomti bhajan lyrics सुरेश गोयल भजन desi bhajan lyrics in hindi
मारवाड़ी भजन लिरिक्स इन हिंदी
भजन :- सत री संगत गंगा गोमती
गायक:- श्याम पालीवाल