।। दोहा ।।
राम नाम रटते रहो , जब तक घट में प्राण।
कबहुँ दिन दयाल के , मनक पड़े सो काम।
हद में तो दाता खेल रचायो ,
बेहद माँहिने आप फिर।
अधर धरा पर आसन मांड्यो,
धरा गगन बिच मौज करे ओ जी।
हंसा होय हंसा संग बैठे ,
कागां रे संग नहीं ओ फिरे।
नुगरा नर तो फिर भटकता,
खोजी वे तो खोज करे ओ जी।
हद में तो ….
अमर जड़ी गुरुदाता से पाई ,
नैणां सूं म्हारे नीर पड़े।
उण बूटी रा परस ना पाया ,
उण सूं करोडो दूर फिरे हो जी।
हद में तो ….
सिमरथ गुरु री शरण में पड़िया ,
ओ घट घाटा गैलां फिरे।
गुरुज्ञान पारस नहीं पियो ,
विण जीवा ने पार करे हो जी।
हद में तो ….
गर्भीला नर गुलचा खावे ,
समझावे जो समंद तीरे।
जीवतड़ा तो जले मसाणा ,
मुर्दा वे जो मगन फिरे हो जी।
हद में तो ….
रण चले शूरां रे खाटे,
कायर वे तो देख डरे।
कहे भैरव गुरु दयाल रे शरणे,
करोड़ जनम रा पाप ठाले हो जी।
हद में तो ….
धनराज जोशी के भजन | dhanraj joshi ke bhajan video
हद में तो दाता खेल रचाया भजन had me to data khel rachaya bhajan गुरुदेव भजन लिरिक्स
गुरुदेव भजन लिरिक्स इन हिंदी
भजन :- हद में तो दाता खेल रचायो
गायक :- धनराज जोशी