Bhajan & Lyrics Details
श्री चारभुजा नाथ जी की आरती लिरिक्स,Om Jai Charbhuja Dhari Aarti Lyrics, Charbhuja Nath Ki Aarti Lyrics
जय चारभुजा धारी भजन लिरिक्स
जय चारभुजा धारी ,
प्रभु जय चारभुजा धारी।
दुष्टन के दुःख दाई ,
भक्तन हितकारी।
कानन कुण्डल सोहे ,
शीश मुकुट धारी।
गल वैजन्ती माला ,
मन मोहक भारी।
ॐ जय चारभुजा धारी। टेर।
चक्र सुदर्शन धरता ,
भालो हाथ भारी।
जग करता युग भर्ता ,
कर कमला धारी।
ॐ जय चारभुजा धारी। टेर।
कमर कतारों सोहे ,
पीठ ढाल भारी।
पांवा पदम् विराजे ,
झांझर छवि न्यारी।
ॐ जय चारभुजा धारी। टेर।
भादो शुक्ल एकादशी मेला ,
अति आनंद मजा।
रुपनाथ है भ्राता ता के ,
तासे आवे रजा।
ॐ जय चारभुजा धारी। टेर।
सजे के सवारी व बलिहारी ,
दूध तलाई छटा।
सुर नर मुनि सुख पावे ,
नभ से देख छटा।
ॐ जय चारभुजा धारी। टेर।
आप दया के सागर ,
संतन प्रतिपाला।
दिनन के दुःख हर्ता ,
भक्तन रखवाला।
ॐ जय चारभुजा धारी। टेर।
तन मन से जो धयावे ,
कष्ट मिटे सारा।
प्रभु जी को रूप निरखता ,
पाप कटे सारा।
ॐ जय चारभुजा धारी। टेर।
श्री चारभुजा की आरती ,
गावत नर नारी।
विघन क्लेश सब टलता ,
महिमा अति भारी।
ॐ जय चारभुजा धारी। टेर।
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Charbhuja Nath Ki Aarti Lyrics
Om Jai Charbhuja Dhari
jai charbhuja dhari,
prabhu jai charbhuaj dhari.
dushtan ke dukh daai,
bhaktan hitkari.
kanan kundal sohe,
shish mukut dhari.
gal vaijanti mala,
man mohak bhari.
om jai charbhuja dhari.
chakra sudarsahan dharta,
bhalo hath bhari.
jag karta yug bharta,
kar kamla dhari.
om jai charbhuja dhari.
kamar kataro sohe,
pith dhal bhari.
panva padam viraje,
jhanjhar chavi nyari.
om jai charbhuja dhari.
bhado sukl aikadashi mela,
ati aanand maja.
rupnath hai bhrata ta ke,
tase aave raja.
om jai charbhuja dhari.
saje ke sawari va balihari,
dudh talai chata.
sur nar muni sukh pave,
nabh se dekh chata.
om jai charbhuja dhari.
aap daya ke sagar,
santan pratpala.
dunan ke dukh harta,
bhaktan rakhwala.
om jai charbhuja dhari.
tan man se jo dhyave,
kasht mite sara.
prabhu ji ko rup nirakhta,
pap kate sara.
om jay charbhuja dhari.
shri charbhuja ki aarti,
gavat nar nari.
vighan klesh sab talta,
mahima ati bhari.
Om Jay Charbhuja Dhari .
श्री चारभुजा नाथ जी की आरती लिरिक्स
ॐ जय चारभुजा धारी
जय चारभुजा धारी ,प्रभु जय चारभुजा धारी।
दुष्टन के दुःख दाई ,भक्तन हितकारी।
कानन कुण्डल सोहे ,शीश मुकुट धारी।
गल वैजन्ती माला ,मन मोहक भारी।
ॐ जय चारभुजा धारी। टेर।
चक्र सुदर्शन धरता ,भालो हाथ भारी।
जग करता युग भर्ता ,कर कमला धारी।
ॐ जय चारभुजा धारी। टेर।
कमर कतारों सोहे ,पीठ ढाल भारी।
पांवा पदम् विराजे ,झांझर छवि न्यारी।
ॐ जय चारभुजा धारी। टेर।
भादो शुक्ल एकादशी मेला ,अति आनंद मजा।
रुपनाथ है भ्राता ता के ,तासे आवे रजा।
ॐ जय चारभुजा धारी। टेर।
सजे के सवारी व बलिहारी ,दूध तलाई छटा।
सुर नर मुनि सुख पावे ,नभ से देख छटा।
ॐ जय चारभुजा धारी। टेर।
आप दया के सागर ,संतन प्रतिपाला।
दिनन के दुःख हर्ता ,भक्तन रखवाला।
ॐ जय चारभुजा धारी। टेर।
तन मन से जो धयावे ,कष्ट मिटे सारा।
प्रभु जी को रूप निरखता ,पाप कटे सारा।
ॐ जय चारभुजा धारी। टेर।
श्री चारभुजा की आरती ,गावत नर नारी।
विघन क्लेश सब टलता ,महिमा अति भारी।
ॐ जय चारभुजा धारी। टेर।
आरती = जय चारभुजा धारी
गायक/Singer = = गोपाल दास
लेबल/Label = रजथानी भजन