आज हरी आये, विदुर घर पावना॥
आज हरी आये, विदुर घर पावना॥
विदुर नहीं घर मैं विदुरानी ,आवत देख सारंग प्राणी ।
फूली अंग समावे न चिंता ॥ ,भोजन कंहा जिमावना ॥
केला बहुत प्रेम से लायीं, गिरी गिरी सब देत गिराई ।
छिलका देत श्याम मुख मांही ॥,लगे बहुत सुहावना,
इतने में विदुरजी घर आये ,खरे खोटे वचन सुनाये ।
छिलका देत श्याम मुख मांही ॥,कँहा गवांई भावना,
केला लीन्ह विदुर हाथ मांही,गिरी देत गिरधर मुख मांही ।
कहे कृष्ण जी सुनो विदुर जी ॥,वो स्वाद नहीं आवना,
बासी कूसी रूखी सूखी,हम तो विदुर जी प्रेम के भूखे ।
- मेरे जीवन का रखवाला, सांवरिया खाटू वाला,
- , ਨਾਲ ਪੌਣਹਾਰੀ ਦੇ ਨਾਲ ਪੌਣਹਾਰੀ ਦੇ, ਨਾਲ ਦੁੱਧਾਧਾਰੀ ਦੇ
- ਮਾਂ ਦਾ ਲੱਖ ਲੱਖ ਸ਼ੁਕਰ ਮਨਾ ਲੋ, ਮਾਤਾ ਰਾਣੀ ਆਈ ਏ
- ਚੰਗੇ ਚਾਹੇ ਮਾੜੇ ਤੂੰ, ਹਾਲਤ ਵਿਚ ਰੱਖੀ
- मेरे हाथों में खीँच दे लकीर सांवरे, मेरी जागेगी सोई तकदीर सांवरे ।
- तेरे दरबार वो ही फरियाद आती हैं, जिसकी तु चाहे दादा, पुरी हो जाती है ।
- ਹੈ ਭਗਤਾਂ ਨੂੰ ਹੈ ਸੰਗਤਾਂ ਨੂੰ ਤਾਰ ਦੇਵੇ, ਜੋਤਾਂ ਦਾ ਚਮਕਾਰਾ
aaj hari aaye vidur ghar pawana vidur nhi ghar main vidurani
aaj hari aaye, vidur ghar paavanaa..
vidur nahi ghar mainviduraani ,aavat dekh saarang praanee
phooli ang samaave n chinta .. ,bhojan kanha jimaavana ..
kela bahut prem se laayeen, giri giri sab det giraaee
chhilaka det shyaam mukh maanhi ..,lage bahut suhaavanaa
itane me viduraji ghar aaye ,khare khote vchan sunaaye
chhilaka det shyaam mukh maanhi ..,kanha gavaani bhaavanaa
kela leenh vidur haath maanhi,giri det girdhar mukh maanhee
kahe krishn ji suno vidur ji ..,vo svaad nahi aavanaa
baasi koosi rookhi sookhi,ham to vidur ji prem ke bhookhe
shambhoo skhi dhany dhany viduraani ..,bhaktan maan bdhaavanaa
aaj hari aaye, vidur ghar paavanaa..