म्हारो खरोचों मालिक पुरे। में वाका नाम पे रेता।
अरे बाबूजी मेरा टिकट क्यों लेता। २
तीन गुणा रा ,डब्बा बनाया, मन का इंजन जोता। २
काम क्रोध का भुक्या कोयला । २ इसमें चेतन सीटी देता।
बाबूजी मेरा टिकट क्यों लेता।
म्हारो खरोचों मालिक पुरे, में वाका नाम पे रेता।२
बाबूजी मेरा टिकट क्यों लेता।
तीरथ वासी आया रेल में ,आवागमन में रहता। २
माया को नहीं बांधा गाठड़ी।२ कोड़ी पास नहीं रहता।
बाबूजी मेरा टिकट क्यों लेता।
म्हारो खरोचों मालिक पुरे, में वाका नाम पे रेता।२
बाबूजी मेरा टिकट क्यों लेता।
राता पीला सिगनल बनाया ,सोहंग तार खिचाता। २
अड़ा उड़द का लीदा आसरा। २ ऐसी लेन जमाता।
बाबूजी मेरा टिकट क्यों लेता।
म्हारो खरोचों मालिक पुरे, में वाका नाम पे रेता।२
बाबूजी मेरा टिकट क्यों लेता।
अरे अमरापुर सु चींटी उतरी हेलो पाड़ के देता।२
अरे गुर्जर गरीबी में कनीराम बोले ,अमर पास कर लेता।
बाबूजी मेरा टिकट क्यों लेता।म्हारो खरोचों मालिक पुरे,
में वाका नाम पे रेता।२बाबूजी मेरा टिकट क्यों लेता।
gopal das vaishnav ke bhajan | भजन :- मेरा टिकट क्यों लेता | गायक :- गोपाल दास वैष्णव | ।। बाबूजी मेरा टिकट क्यों लेता ।।