मानो तो में गंगा माँ हु।ना मानो तो बेहता पानी। २।
जो स्वर्ग ने दी धरती को।में हु प्यार की वही निसानी।
मानो तो में गंगा माँ हु।ना मानो तो बेहता पानी। २।
युग युग से में बेहती आई,निल गगन के निचे।
सदियों से ये मेरी धारा,प्यार की धरती सींचे।
मेरी लहर लहर पे लिखी है।इस देश की अमर कहानी।
मानो तो…….
कोई वजा करे मेरे जल से।कोई मूरत को नहलाये।
कही मोची चमड़े धोये।कही पंडित प्यास बुझाये।
ये जात धर्म के झगड़े,इंसान की है नादानी।
मानो तो…….
गौतम अशोक अकबर ने ,यहाँ प्यार के फूल खिलाये।
तुलसी ग़ालिब मीरा ने ,यहाँ ज्ञान के दीप जलाये।
मेरे तट पे आज भी गूंजे ,नानक कबीर की वाणी।
मानो तो…….
मानो तो में गंगा माँ हु।ना मानो तो बेहता पानी। २।
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भजन ;- मानो तो मैं गंगा माँ हूँ
गायिका :- तृप्ति शाक्या
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