गुरु बिन घोर अँधेरा रे संतो। गुरु बिन घोर अँधेरा जी।
बिना दीपक मंदरियो सुनो। अब नहीं वस्तु का वेरा जी।
अरे जब तक कन्या रेवे कवारी। नहीं पुरुष का वेरा जी।
आटो पोर कलस माई खेले। अब खेले खेल गनेरा जी।
गुरु बिन घोर अँधेरा रे संतो। गुरु बिन घोर अँधेरा जी।
बिना दीपक मंदरियो सुनो। अब नहीं वस्तु का वेरा जी।
अरे मिर्गे री नाभि बसे कस्तूरी। नहीं मृगे को वेरा जी।
रणी वनी में फिरे भटकतो। अब सुंगे घास गनेरा जी।
गुरु बिन घोर अँधेरा रे संतो। गुरु बिन घोर अँधेरा जी।
बिना दीपक मंदरियो सुनो। अब नहीं वस्तु का वेरा जी।
अरे जब तब आग रेवे पत्थर में। नहीं पत्थर को वेरा जी।
चक मक चोटा लागे सबद री। अब फेके आग आग चोपेरा जी।
गुरु बिन घोर अँधेरा रे संतो। गुरु बिन घोर अँधेरा जी।
बिना दीपक मंदरियो सुनो। अब नहीं वस्तु का वेरा जी।
रामानंद मिल्या गुरु पूरा। दिया सबद चकसाणा जी।
कहेत कबीर सुनो भई संतो। अब मिट गया भरम अँधेरा जी।
गुरु बिन घोर अँधेरा रे संतो। गुरु बिन घोर अँधेरा जी।
बिना दीपक मंदरियो सुनो। अब नहीं वस्तु का वेरा जी।
prakash mali ke bhajan | !! गुरु बिन घोर अँधेरा रे संतो !! | भजन :- गुरु बिन घोर अँधेरा | गायक :- प्रकाश माली