भरत भाई ! कपि से उ ऋण हम नाहीं ॥
सौ योजन मर्यादा सिन्धु की , कूदि गयो क्षण माँहीं ।
लंका जारि सिया सुधि लायो , पर गर्व नहीं मन माँहीं ।
कपि से उ ऋण हम नाहीं ॥ भरत भाई । ……
शक्ति बाण लग्यो लक्ष्मण के , शोर भयो दल माँहीं ।
धोला गिर कर धर लायो , भौर ना होने पाई ॥
कपि से उ ऋण हम नाहीं ॥ भरत भाई । ……
अहि रावण की भुजा उखाड़ी , बैठि गयो मठ माँहीं ।
जो भैया हनुमंत नहीं होतो , तो करतो कौन सहाई ॥
कपि से उ ऋण हम नाहीं ॥ भरत भाई । ……
आज्ञा भंग कबहूं नहीं कीन्हीं , जहाँ पठायो तहाँ जाई ।
तुलसीदास पवनसुत महिमा , प्रभु निज मुख करत बड़ाई ॥
कपि से उ ऋण हम नाहीं ॥ भरत भाई । ……
anup jalota bhajan lyrics Video
भजन :- भरत भाई ! कपिसे उ ऋण
गायक :- अनूप जलोटा