श्री सच्चिदानन्द सद्गुरु साईनाथ महाराज की जय
दोहा
आदि आधार ना पा कर नाथ के
आदि नाथ कहे पाताल
नाथ नाथ जग कहे
जगन्नाथ कहे भूलोक
अन्त ना तेरा जान के
अनन्त नाथ कहे स्वर्गलोक
ऐसी परम शक्ति को
विनती करे ब्रह्म विष्णु महेश
नाथ नाथों के एक नाथ हैं
ऐसो कहे नवनाथ
ऐसे नाथ को जग कहे
जय जय साईनाथ
श्री सच्चिदानन्द सद्गुरु साईनाथ महाराज की जय
महिमा
तुम्ही हो दाता एक विधाता
तुम्ही थे ईसा इसाईयों के
नाम पलटकर बन गये साई
हिन्दूओं के तुम्ही हो श्रीराम
साई राम कह सभी पुकारे
मस्जिद में तुझ को अल्लाह पुकारे
नानक गूंजे हर गुरुद्वारा
ऐसे बाबा जग मे आये
जिन की महिमा कोई न जाने
२. कोई ना जाने तेरा बचपन
साल पूरे सोलह तक
जग उद्धार के लिये प्रकट
हो गये गांव शिरडी में
दत्ता जैसे किये गुरु अनेक
कबिर गोपाल और जाविर
लालन पालन किये थे गोपाल
सत्य की दीक्षा पूरी दी
दीक्षा शिक्षा पाकर पूरी
साई बाबा बन गये
साई श्री राम बन गये
साई ईसू बन गये
साई अल्लाह बन गये
साई नानक बन गये
साई जगत में छा गये
ऐसे बाबा जग में आये
जिन की महिमा कोइ ना जाने
३. वृक्ष नीम था तेरा आश्रम
लेन्डी जंगल तेरा बगीचा
पोशाक तेरी फटी कफनी
सिर को साजे एक साफ़ा
करो मे तेरे छड़ी व कमंडल
चरणो मे तेरे जिर्ण पादुका
रूप तेरा है मनोहर
वाणि जैसे मुरली मनोहर
नयन हैं तेरे प्रेम से भरे
हृदय है तेरा दया से भरा
पत्थर है तेरा सिंहासन
चिथड़ा गूनी तेरा आसन
जीर्ण गूनी तेरा बिस्तर
ईंट ही तेरा सिरहाना
ऐसे बाबा जग में आये
जिन की महिमा कोइ न जाने
४. चाँद भाई पाटील आये
बालक साई बाबा के पास
खोई घोड़ी दे कर बाबा
चिमटे से चिलिम जला दिये
म्हाल्सापति को ज्ञानी बना कर
नाना को दिया गीतोपदेश
बायजा बाई ने उद्रत कर ली
खाना दे कर तुझ को निरन्तर
दासों के दास हैं दास गणू
बन गये तेरे किर्तनकार
अब्दुल्लाह ने की बड़ी सेवा
तन मन दे कर तुझ को अपना
ऐसे बाबा जग में आये
जिन की महिमा कोई ना जाने
५. कड़वे नीम को मीठा कर के
सिद्धि पहले कायम की
तेल न पा कर पानी ही से
ज्योति उत्तम जलायी
नीम की पत्ति धूनी से उदी
सब को हरदम देते थे
शक्ति इन में ऐसी होती
दुःख सारा हर लेती थी
भिक्षा ला कर पांच घरों से
उसे सब को देते थे
ऐसे उसे देते रह्ते
जो खतम न होती थी
तेरे साथी दीन दुःखी जन
अन्धे लंगड़े शूद्र व रोगी
तुम्ही थे उन के सच्चे साथी
माता पिता व गुरु परमात्मा
ऐसे बाबा जग में आये
जिन की महिमा कोई न जाने
६. कुष्ठ रोगी भागोजी शिन्दे
आये साई बाबा के पास
जीवन भर निज सेवा में रख कर
उनके रोग को हरण लिया
आम्लपित रोग वह हैज़ा से
बड़े ही पीड़ित थे बूटी
धूनी से उदी देकर बाबा
उनको रोग से मूक्त किया
अतिसार की बीमारी थी
काका महाजनी को
स्वस्थ किये उनको बाबा
मूंगफलि खिला कर
बड़े ही पीड़ित थे श्यामा
बवासीर रोग से
दया के सागर साई ने
हरण लिया बवासीर को
चौदह वर्षो के उदर रोग से
थे बड़े पीड़ित दत्तोपन्त
हर्दा के ऐसे दुःखी को देखकर
उनको रोग से मुक्त किया
भीमाजी पाटील महानुभाव थे
नारायण गांव के क्षय रोगी
ऐसे भयंकर रोग को
दूर किया जगीश्वर ने
ऐसे बाबा जग में आये
जिन की महिमा कोइ न जाने
७. अजानुबाहू बन कर आये
विश्व को आशीष देने को
तीनों लोक ने आशीष पायी
ऐसे अजानुबाहू से
पूरे विश्व की रक्षा करने
रात दिन बाबा जागते थे
अपनी नींद व सब कुछ त्यागकर
बहुत ही सेवा करते थे
शिरडी क्षेत्र में रहकर बाबा
विश्व की महान सेवा की
उनसे बढ़ कर महान त्यागी
कोइ न विश्व में जन्म लिया
द्वारकामाई मस्जिद थी
गुरुकुल जैसे ज्ञानाश्रम
ज्ञानीयों का मेला था
हरदम साईश्वर के पास
देश विदेश से आकर लोग
ज्ञान व भक्ति पाते थे
पूर्ण ज्ञानी साईश्वर
सब को सब कुछ देते थे
भगवद्गीता को समझाया
डेपुटी कलेक्टर नाना को
विष्णु सहस्त्रनाम को समझा
काका साहिब दीक्षित ने
नाथ भागवत को पढ़ते थे
साईश्वर से हेमाड़पन्त
दिक्षित जोग व बी.वी. देव ने
ज्ञानेश्वरी का ज्ञान लिया
गुरुचरित्र का पाठ कराया
श्री साठे से साई ने
उपनिषदों का अर्थ बताया
निज प्रेमियों को बाबा ने
कुरान शरीफ़ के तत्व को समझा
अब्दुल्लाह ने साई से
साई प्रेमी मौलवी
फ़ातिहा को पढ़ते थे
ऐसे बाबा जग में आये
जिन की महिमा कोई न जाने
८. लटका कर घंटी मस्जिद में
मस्जिद मन्दिर एक किये
नमाज़ पुजा बन गये एक
मुस्लिम हिन्दु हो गये एक
ये हैं अग्नि पारसी की
ये हैं द्वार गुरुद्वारा
ऐसे साई बाबा कह कर
विभिन्न जाति को एक किये
ऐसे बाबा जग में आये
जिन की महिमा कोई न जाने
९. विश्व रूप का दर्शन दिया
निज भक्तों को साई ने
पूर्ण खंडोबा थे साई
म्हालसापती कह्ते थे
राम दासियों ने देखा
शिरडीश्वर में राम को
पंढरीनाथ का दर्शन दिया
दास गणु महाराज को
सृष्टि पालक विष्णु को देखा
न्यायाधीश रेगे ने
कैलाश पति शिव को देखा
साईश्वर में मेघा ने
दशवतारों ने दर्शन दिये
द्वारकामाई मस्जिद में
ऐसे दर्शन नाथ में पाकर
नाथ को विश्व ने मान लिया
ऐसे बाबा जग में आये
जिन की महिमा कोई न जाने
१०. अल्प आयू ही में बाबा
स्वेच्छा मरन पेश किये
आदि शंकर जैसे बाबा
देह अपना त्याग दिये
धीरज विश्वास प्रेम से
सबने उस की रक्षा की
ठीक तीसरे दिन के बाद
जागृत हो गये साई नाथ
जागृत हो कर जागृत कर दी
हर मानव को अपनी ओर
ऐसे बाबा जग में आये
जिन की महिमा कोई न जाने
११. म्हाल्सापती तात्या पाटील
बड़े ही तेरे प्रेमी थे
सोते जागते चलते फिरते
साथ हरदम रह्ते थे
लक्ष्मीबाई महालक्ष्मी
नित्य सेवा करती थी
देकर उसको रुपये नौ
सारी भक्ति दे दिये
विष से पिड़ित श्यामा आये
ऐसे साई बाबा के पास
विष को तुरन्त दूर किये
भोले शंकर साई ने
प्राण बचाये मेंढक ने
अपने शत्रु के मुख से
था वह हुकुम बाबा का
टाल न कोई सकता था
ऐसे बाबा जग में आये
जिन की महिमा कोई न जाने
१२. एच. एस. दीक्षित एम. ब. रेगे
बड़े ही शिक्षित ज्ञानी थे
कुछ न पाकर देश विदेश में
पास बाबा के आये
ऐसी हस्ती शक्ति देखी
अर्पण अपने को कर दी
महारोगी बन कर आये
काशी नाथ उपासनी
बाबा निरोग कर दिये
उपासनी महाराज बन गये
प्रेमी भयभीत हो उठे
जब हैजा आया शिरडी में
दीनदयालु साई ने
दूर किया उस हैजे को
ऐसे बाबा जग में आये
जिन की महिमा कोई न जाने
१३. नागपुर के बड़े ही धनी
गोपाल राव बूटी थे
कृष्ण मुरलीधर के लिये
बूटी वाड़ा बनाये
यह है स्थान सोने का मेरा
ऐसे बाबा कहते थे
जो भी कहते साई बाबा
हरदम वह ही होता था
उन्नीस सौ अठारह के
दशहरा के दशमी में
मंगलवार के दिन बाबा
जब बयासी साल के लगते थे
लग भग दोपहर ढाई बजे
शिरडी की मस्जिद में
बाबा सचमुच सो गये
दुनिया के लिये सो गये
पर बाबा सर्वत्र छा गये
हरदम के लिये छा गये
मस्जिद में वह छा गये
शिरडी में वे छा गये
बाबा सब में छा गये
सब के हृदय में छा गये
ऐसे बाबा जग में आये
जिन की महिमा कोइ ना जाने
१४. छाये हूए जागते साई
अब भी बाबा जागते हैं
सभी देखे पूरे विश्व में
अब भी बाबा जागते हैं
साई बाबा है सत्य आत्मा
पूर्ण आत्मा परमात्मा
साई बाबा कहते भी थे यही
में हूँ आत्मा परमात्मा
ऐसे नाथ की देह को पाने में
हो गये बड़े मतभेद
हिन्दु कहे हिन्दु थे बाबा
मुस्लिम कहे थे बड़े पीर
इस का निर्णय हो नहीं पाया
नाथ की देह को पा गये हिन्दु
नाथ परे थे इस जाती भेद से
जैसे परे हैं परमात्मा
ऐसे बाबा जग में आये
जिन की महिमा कोई न जाने
१५. हिन्दु मुस्लिम सिक्ख ईसाई ने
अदभुत समाधी बनाई
ऐसे समाधि में भेद न कोई
जात पात वह ऊँच नीच का
श्याम सुन्दर तेरा घोड़ा
बड़ा ही तेरा प्रेमी था
श्रद्धा भक्ति वह प्रेम से
तुझ को प्रणाम करता था
शिरडी वासियों ने देखा
समाधी काल के बाद भी
अश्रू धारा बहा कर
समाधी को प्रणाम करता था
सत्य है नाथ का कथन
मैं हूँ जागृत समाधी पर
इस की गवाही देते हैं साई
अपनी विशाल मूर्ति से
ऐसी मूर्ति बनायी तालीम
बम्बई के मुर्तिकार
जिस की स्थापना की थी
उन्नीस सौ चौवन में
अहमदाबाद के बड़े ही प्रेमी
साई शरणान्द ने
बाबा हैं जागृत जड़ चेतन में
पाये तो उन को सफ़ल है जीवन
नाथ को पा कर सब कुछ पाये
उन को न पा कर कुछ भी न पाये
साई सेवक गुरु नारायण कहे
अनंत महिमा की यह छोटी महिमा
जो भी पढ़े नित्य निरन्तर
सब कुछ पाये साई कृपा से
साई कृपा से साई कृपा से
सब कुछ पाये साई कृपा से.
साई कृपा से साइ कृपा से(५).
सब कुछ पाये साई कृपा से
श्री सच्चिदानन्द सद्गुरु साईनाथ महाराज की जय