दुर्गा माँ भजन जगत सेठाणी म्हारी दादी माँ कुहावे भजन लिरिक्स
स्वर – बबीता जी विश्वास।
तर्ज – कौन दिशा में।
जगत सेठाणी म्हारी,
दादी माँ कुहावे,
मोटी ये सेठाणी म्हारी,
नारायणी कुहावे,
जो भी मंगल करावे,
जो भी चुनड़ी चढ़ाए,
मालामाल करसी,
झोली भरसी,
जगत सेठानी म्हारी,
दादी माँ कुहावे।।
झुंझन वाली मावडी को,
जो भी लाड़ लड़ावेगो,
सुख सम्पति धन वैभव यश,
वो जीवन भर पावेगो,
मंगल करणी मंगल करसी,
मंगल करणी मंगल करसी,
घर में धन ना समावेगो,
दादी की किरपा,
उन पे बरसती,
जो भी मंगल करावे,
जो भी चुनड़ी चढ़ाए,
मालामाल करसी,
झोली भरसी,
जगत सेठानी म्हारी,
दादी माँ कुहावे।।
नारायणी की छवि,
है अति प्यारी,
ममता नैनो से छलक रही,
जितनो निहारूँ,
मुखडो यो प्यारो,
प्यास नैना की नाही बुझ रही,
प्यास बुझा दो दरश करा दो,
प्यास बुझा दो दरश करा दो,
‘रेणु बबिता’ बलिहार से,
थारी ही सेवा में,
सारी उमर गुजारूं,
जो भी मंगल करावे,
जो भी चुनड़ी चढ़ाए,
मालामाल करसी,
झोली भरसी,
जगत सेठानी म्हारी,
दादी माँ कुहावे।।
जगत सेठाणी म्हारी,
दादी माँ कुहावे,
मोटी ये सेठाणी म्हारी,
नारायणी कुहावे,
जो भी मंगल करावे,
जो भी चुनड़ी चढ़ाए,
मालामाल करसी,
झोली भरसी,
जगत सेठानी म्हारी,
दादी माँ कुहावे।।
- संतो भई मै बाबा बहुरंगी भजन लिरिक्स
- पैदल चलता चलता जय बोलो जालन्धर नाथ जी की लिरिक्स
- प्रथम लाभ सरणो माय कीजे जो कोई सिश नमावे
- भुजेला नगरी में मेलो दर्शन करवा चाला हे रंग रसीया
Pingback: ज्येष्ठ में नी आयो ए आषाढ में नी आयो रे – Bhajan Collections