मैया के दर पे नजारा मिलता है
दोहा – जहाँ तक ये मेरी
निगाह जा रही है
मेरी माँ की रहमत
नज़र आ रही है
ना लौटा है आज तक
कोई दर से खाली
मुरादों से झोली
भरी जा रही है।
मैया के दर पे नजारा मिलता है
ग़म के मारों को सहारा मिलता है
मैया ने बदली है सबकी तक़दीरें
सबकी कश्ती को किनारा मिलता है
मैया के दर पे नज़ारा मिलता है।।
फिल्मी तर्ज भजन = दूल्हे का सेहरा।
आज माँ के जागरण की रात है आई
आज खुशियों की हमें सौगात है आई
है बड़ी प्यारी बड़ी न्यारी बड़ी पावन
माँ के दर्शन के लिए मैं भेंट हूँ लाई
सारे भक्तों को सहारा मिलता है
ग़म के मारों को सहारा मिलता है
मैया के दर पे नज़ारा मिलता है।।
भरदे दामन में मेरे सुख सागर के मोती
तू ही रचना में जगा मेरे ज्ञान की ज्योति
तेरी कला की कलियों से महके जीवन मेरा
अमृत की वर्षा सारे ही पापों को धोती
माँ की चौखट से नज़ारा मिलता है
ग़म के मारों को सहारा मिलता है
मैया के दर पे नज़ारा मिलता है।।
बेसहारों को सहारा मिल ही जाएगा
माँ की ममता का सहारा मिल ही जाएगा
‘कमल किशोर’ जो श्रद्धा से दर पे जायेगा
रहमत बरसेगी कवी का दिल भी गायेगा
सबकी किस्मत का सितारा खिलता है
ग़म के मारों को सहारा मिलता है
मैया के दर पे नज़ारा मिलता है।।
मैया के दर पे नज़ारा मिलता है
ग़म के मारों को सहारा मिलता है
मैया ने बदली है सबकी तक़दीरें
सबकी कश्ती को किनारा मिलता है
मैया के दर पे नज़ारा मिलता है।।
भजन गायक – Kamal Kishore Kavi
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