ओढ़ ली जिसने चुनरिया
दादी तेरे नाम की
नींद में भी वो तो गाए
जय हो झुंझणधाम की।।
फिल्मी तर्ज भजन = सांवरी सूरत पे मोहन।
देख लो दादी का जादू
सर पे चढ़कर बोलता
फेरता रहता है माला
चिंता ना किसी काम की
ओढ़ ली जिसने चुनरियाँ
दादी तेरे नाम की।।
दादी की भक्ति में ऐसा
वो दीवाना हो गया
सपने में भी माँ को पुकारे
ऐसी है दीवानगी
ओढ़ ली जिसने चुनरियाँ
दादी तेरे नाम की।।
रात दिन होंठों पे चर्चा
दादी के दरबार की
करता रहता है बड़ाई
दादी जी के शान की
ओढ़ ली जिसने चुनरियाँ
दादी तेरे नाम की।।
खुद पे है अभिमान क्योकि
ऐसी माँ का लाडला
जी रहा ‘बनवारी’ देखो
जिंदगी आराम की
ओढ़ ली जिसने चुनरियाँ
दादी तेरे नाम की।।
ओढ़ ली जिसने चुनरिया
दादी तेरे नाम की
नींद में भी वो तो गाए
जय हो झुंझणधाम की।।
गायक – Saurabh / Keshav Madhukar
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