गर जोर मेरो चालै
चुनरी ओढाऊ तनै लाख की
के करा पर दादी कोन्या
बात या मेरे हाथ की।।
रतन जड़ित सिंहासन बैठा
महारानी सा लागों
सारी दुनिया माही दादी
थैं क्षत्राणी बाजो
लाखों की चुनरी थारै पर
मैया चोखी लाग सी
गर जोर मेरो चालै
चुनरी ओढाऊँ तनै लाख की।।
छत्र सोहे सोने का सिर पर
गले नौलखा हार है
हीरे की नथनी कुंडल को
गजब हुयो श्रृंगार है
कईयां लाऊ हल्की चुनर
बोलो दादी आपकी
गर जोर मेरो चालै
चुनरी ओढाऊँ तनै लाख की।।
एक से बढ़कर एक भगत
मां तेरे द्वारे आवै हैं
चांद सितारों जड़ी चुनरी
थांनै लाए उड़ावै हैं
देखु जब खुद की चुनर नै
आवै मन में लाज सी
गर जोर मेरो चालै
चुनरी ओढाऊँ तनै लाख की।।
थारो हाथ रहे जो सिर पर
जल्दी वह दिन आवैगो
भगत थाने लक्खा की मां
चुनर लाय ओढावै लो
सच्ची बोलूं तो मैया जी
भूखी भक्ति भाव की
गर जोर मेरो चालै
चुनरी ओढाऊँ तनै लाख की।।
गर जोर मेरो चालै
चुनरी ओढाऊ तनै लाख की
के करा पर दादी कोन्या
बात या मेरे हाथ की।।
गायक – Uma Sharma Chittoragh
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