जग रूठे पर मुझसे मेरी माँ ना रूठे
और जियूँ मैं जब तक
माँ तेरा दरबार ना छुटे
जग रूठें पर मुझसे मेरी माँ ना रूठें
जियूँ मैं जब तक
माँ तेरा दरबार ना छुटे
जय जय माँ माँ माँ
जय जय माँ माँ माँ
मेरी माँ माँ माँ
जय जय माँ माँ माँ।।
एक तेरे भरोसे पर मैंने
अपनी ये नाव चलाई है
लाखों तुफा आए लेकिन
मेरी नाव ने मंजिल पाई है
मेरी नाव ने मंजिल पाई है
हाथों से तेरे मेरी पतवार ना छुटे
और जियूँ मैं जब तक
माँ तेरा दरबार ना छुटे
जग रूठें पर मुझसे मेरी माँ ना रूठें
जियूँ मैं जब तक
माँ तेरा दरबार ना छुटे
जय जय माँ माँ माँ
जय जय माँ माँ माँ
मेरी माँ माँ माँ
जय जय माँ माँ माँ।।
जब जब भी ठोकर खा कर मैं
चलते चलते गिर जाता हूँ
उस वक्त भी अपने पास खड़ी
मेरी मैया तुम्हे ही पाता हूँ
तुझसे जुड़ी जो तार
कभी वो तार ना टूटे
और जियूँ मैं जब तक
माँ तेरा दरबार ना छुटे
जग रूठें पर मुझसे मेरी माँ ना रूठें
जियूँ मैं जब तक
माँ तेरा दरबार ना छुटे
जय जय माँ माँ माँ
जय जय माँ माँ माँ
मेरी माँ माँ माँ
जय जय माँ माँ माँ।।
बस एक तमन्ना जीवन की
हर जनम में तेरा साथ मिले
हर हाल में मैं खुश रह लूंगा
गर मैया तेरा प्यार मिले
माँ के नाम की मस्ती
किस्मत वाला लुटे
और जियूँ मैं जब तक
माँ तेरा दरबार ना छुटे
जग रूठें पर मुझसे मेरी माँ ना रूठें
जियूँ मैं जब तक
माँ तेरा दरबार ना छुटे
जय जय माँ माँ माँ
जय जय माँ माँ माँ
मेरी माँ माँ माँ
जय जय माँ माँ माँ।।
जग रूठे पर मुझसे मेरी माँ ना रूठे
और जियूँ मैं जब तक
माँ तेरा दरबार ना छुटे
जग रूठें पर मुझसे मेरी माँ ना रूठें
जियूँ मैं जब तक
माँ तेरा दरबार ना छुटे
जय जय माँ माँ माँ
जय जय माँ माँ माँ
मेरी माँ माँ माँ
जय जय माँ माँ माँ।।
गायक – श्री जयपाल जी।
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