बस यही लिख दे माँ लिख दे
तक़दीर में मेरी
ऐ माँ मैं रहूँ सदा सेवा में तेरी।।
शाम सवेरे मोर पंख की
लेके सुमरनी माँ
तेरा भवन बुहारू
गंगा जल की भर के गगरिया
हे जग जननी माँ
तेरे चरण पखारू
सुहा सुहा चोला गोटे वाला
तुझको पहनाऊ
तारो जड़ी चुनरिया
तुझको मैं ओढ़ाऊँ
बस यही लिख दे मा लिख दे
तक़दीर में मेरी
ऐ माँ मैं रहूँ सदा सेवा में तेरी।।
घोल कटोरी चांदी में माँ
माथे तेरे लगाऊं
केसर का टिका
हाथो से मैं अपने पिरोकर
पहनाऊ सुन्दर हार
फूलो कलियों का
भर के घी से पावन
तेरी ज्योत जलाऊँ
हलवा चना और पूरी
ले भोग लगाऊं
बस यही लिख दे मा लिख दे
तक़दीर में मेरी
ऐ माँ मैं रहूँ सदा सेवा में तेरी।।
होंठो पर हो नाम तुम्हारा
नयन निहारे माँ
सदा छवि तुम्हारी
दर का भिखारी
बन गया ‘लख्खा’
कर रहा तुम को याद
सारी दुनिया बिसारी
मांगे न चांदी सोना
ना महल चौबारा
कवळा ‘सरल’ सदा चाहे
चौखट पे गुजारा
बस यही लिख दे मा लिख दे
तक़दीर में मेरी
ऐ माँ मैं रहूँ सदा सेवा में तेरी।।
बस यही लिख दे माँ लिख दे
तक़दीर में मेरी
ऐ माँ मैं रहूँ सदा सेवा में तेरी।।
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