मुंह मांगा फल है मिलता
जयकारा माँ का बोल के
हर एक संकट टलता
जयकारा मां का बोल के।
श्रद्धा भक्ति से जगाई
जिन्होंने मां की ज्योति
उसके आंगन में सुखों की
सदा ही बारिश होती
दुःख के कांटे फूल है बनते
कंकर बनते मोती
उनकी आशा का बगीचा
पतझड़ में भी खिलता
जयकारा मां का बोल के
मुँह मांगा फल हैं मिलता
जयकारा मां का बोल के।
मन के मंदिर में बिठा ली
जिन्होंने अंबे रानी
मां ने ऐसे भक्तों की ‘लक्खा’
हर एक बात है मानी
कल तक जो थे दान मांगते
आज बने महादानी
कुटिया जैसा उनका घर तो
शीशमहल सा बनता
जयकारा मां का बोल के
मुँह मांगा फल हैं मिलता
जयकारा मां का बोल के।
मां के चरणों से जुड़ जाओ
तोड़ के बंधन झूठे
नाम की दौलत को ना जग में
कोई लुटेरा लूटे
दुनिया रूठे तो नहीं चिंता
मैया कभी ना रूठे
सच्ची भक्ति के जादू से
पत्थर भी है तरता
जयकारा मां का बोल के
मुँह मांगा फल हैं मिलता
जयकारा मां का बोल के।
मुंह मांगा फल है मिलता
जयकारा माँ का बोल के
हर एक संकट टलता
जयकारा मां का बोल के।
गायक – लखबीर सिंह लख्खा जी।
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