लाली लाली लाल चुनरियाँ
कैसे ना माँ को भाए।।
माई मेरी सूचियाँ जोतावाली माता
तेरी सदा ही जय
माई मेरी उँचियाँ पहाड़ावाली माता
तेरी सदा ही जय।
लाली लाली लाल चुनरियाँ
कैसे ना माँ को भाए
ये लाल चुनरियाँ नारी के
तीनो ही रूप सजाए
लाली लाली लाल चुनरियाँ
कैसे ना माँ को भाए।।
पावन होती है नारी की
बाल अवस्था
इसीलिए कन्या की हम
करते है पूजा
ये पूजा फल देती है
सुखो के पल देती है
हो सर पे देके लाल चुनर
कंजक को पूजा जाए
लाली लाली लाल चुनरियाँ
कैसे ना माँ को भाए
ये लाल चुनरियाँ नारी के
तीनो ही रूप सजाए
लाली लाली लाल चुनरिया
कैसे ना माँ को भाए।।
दूजे रूप में आके नारी
बने सुहागन
प्यार ही प्यार बना दे ये
अपना घर आँगन
मिले जो प्यार में भक्ति
तो मन पा शक्ति
हो लाल चुनरिया ओढ़ सुहागन
रूपमति कहलाए
लाली लाली लाल चुनरियाँ
कैसे ना माँ को भाए
ये लाल चुनरियाँ नारी के
तीनो ही रूप सजाए
लाली लाली लाल चुनरिया
कैसे ना माँ को भाए।।
तीजा रूप है माँ का जो
ममता ही बांटे
पलकों से चुन ले सबकी
राहो के कांटे
ये आँचल की छाया दे
तो जीवन को महका दे
हाँ लाल चुनरिया ओढ़ के माँ
फूली नहीं समाए
लाली लाली लाल चुनरियाँ
कैसे ना माँ को भाए
ये लाल चुनरियाँ नारी के
तीनो ही रूप सजाए
लाली लाली लाल चुनरिया
कैसे ना माँ को भाए।।
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