विराशनी देवी सिलौंडी वाली
अजब तेरो दरबार
शान भक्तों की बढ़ाई है
बैठी चतुर्भुज रूप में मैया
सुनती करुण पुकार
दान की महिमा गाई है।।
विराशनी विपत हरैया
काल नाशनी मात पुकारे तुमको छैया
कैसे प्रकट भई जगदम्बा
हरण भूमि को भार
कथा संतों ने गाई है
बैठी चतुर्भुज रूप में मैया
सुनती करुण पुकार
दान की महिमा गाई है।।
म.प्र. कटनी जिले में
पाली निगईं और तिलमन
सिलौंडी दादर सिहुडी कोठी
जाने सारा दशरमन
अरे महिषासुर मर्दनी
भवानी देवी के दरबार
मुरादें मन की पाई हैं रे
बैठी चतुर्भुज रूप में मैया
सुनती करुण पुकार
दान की महिमा गाई है।।
सघन वन होत प्रभाती
सभी गांव की गायें यहां
चरने को आतीं
अरे चरवाहे को जगदंबा ने
दर्शन दियो दिखाई
देख मूरत मन भाई है रे
बैठी चतुर्भुज रूप में मैया
सुनती करुण पुकार
दान की महिमा गाई है।।
रही भूगर्भ में माता
करके खुदाई सुनो
भगत ने जोड़ा नाता
माता की मूरत को उसने।
व्रक्ष से दियो टिकाय
हृदय से टेर लगाई है रे
बैठी चतुर्भुज रूप में मैया
सुनती करुण पुकार
दान की महिमा गाई है।।
लगा रहता है मेला
विराशनी मां के द्वार
गुरु और आते चेला
झेला माला चोली चुनरी से
मां का करें सिंगार
मनौती मां से मनाई है रे
बैठी चतुर्भुज रूप में मैया
सुनती करुण पुकार
दान की महिमा गाई है।।
लकी दरबार है आया
माता विराशनी तेरे
चरणों मे शीश झुकाया
रहत कठौदा और कटंगा
गाथा लिख बेनाम
माई तेरी कलम चलाई है रे
बैठी चतुर्भुज रूप में मैया
सुनती करुण पुकार
दान की महिमा गाई है।।
विराशनी देवी सिलौंडी वाली
अजब तेरो दरबार
शान भक्तों की बढ़ाई है
बैठी चतुर्भुज रूप में मैया
सुनती करुण पुकार
दान की महिमा गाई है।।
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गायक – उदय लकी सोनी।
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