इतनी शौहरत ना दे कहीं बहक ना मैं जाऊँ भजन लिरिक्स

इतनी शौहरत ना दे,
कहीं बहक ना मैं जाऊँ,
चाहता हूँ तेरी चौखट,
कुछ और ना मैं चाहूँ।।

फूलों के ये हार प्रभु,
अभिमान न बन जाए,
खुशबु से अत्तर की कहीं,
मन ना ये बहक जाए,
ये मन बड़ा चंचल है,
कहीं इनमें न फँस जाऊँ,
चाहता हूँ तेरी चौखट,
कुछ और ना मैं चाहूँ।।

काबिल ही नहीं जिसके,
हमें वो सम्मान दिया,
पहचान हैं दी अपनी,
जग में भी नाम किया,
रहे इतनी कृपा मुझ पर,
सदा प्यार तेरा पाऊँ,
चाहता हूँ तेरी चौखट,
कुछ और ना मैं चाहूँ।।

कहता है ‘कमल’ मुझको,
इतना ही प्रभु देना,
कुछ माँगा नहीं ज्यादा,
चरणों में जगह देना,
जब तक है मेरी साँसे,
तेरा ही गुण गाऊँ,
चाहता हूँ तेरी चौखट,
कुछ और ना मैं चाहूँ।।

इतनी शौहरत ना दे,
कहीं बहक ना मैं जाऊँ,
चाहता हूँ तेरी चौखट,
कुछ और ना मैं चाहूँ।।

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