बिनती सुनिए नाथ हमारी,
दोहा – प्रीतम बसे पहाड़ में,
मैं यमुना के तीर,
अब तो मिलना मुश्किल है,
पाँव पड़ी है जंजीर।
प्रीतम प्रीत लगाए के,
दूर देश मत जाए,
बसों हमारी नगरी में,
हम मांगे तुम खाए।
बिनती सुनिए नाथ हमारी,
हृदयष्वर हरी हृदय बिहारी,
हृदयष्वर हरी हृदय बिहारी,
मोर मुकुट पीतांबर धारी,
बिनती सुनिए नाथ हमारी।।
जनम जनम की लगी लगन है,
साक्षी तारो भरा गगन है,
गिन गिन स्वाश आस कहती है,
आएँगे श्री कृष्ण मुरार,
विनती सुनिए नाथ हमारी,
हृदयष्वर हरी हृदय बिहारी,
हृदयष्वर हरी हृदाया बिहारी,
मोर मुकुट पीतांबर धारी,
बिनती सुनिए नाथ हमारी।।
सतत प्रतीक्षा अपलक लोचन,
हे भव बाधा बिपति बिमोचन,
स्वागत का अधिकार दीजिए,
शरणागत है नयन पुजारी,
विनती सुनिए नाथ हमारी,
हृदयष्वर हरी हृदय बिहारी,
हृदयष्वर हरी हृदाया बिहारी,
मोर मुकुट पीतांबर धारी,
बिनती सुनिए नाथ हमारी।।
और कहूं क्या अंतर्यामी,
तन मन धन प्राणो के स्वामी,
करुणाकर आकर ये कहिए,
स्वीकारी विनती स्वीकारी,
विनती सुनिए नाथ हमारी,
हृदयष्वर हरी हृदय बिहारी,
हृदयष्वर हरी हृदाया बिहारी,
मोर मुकुट पीतांबर धारी,
बिनती सुनिए नाथ हमारी।।
बिनती सुनिए नाथ हमारी,
बिनती सुनिए नाथ हमारी,
हृदयष्वर हरी हृदय बिहारी,
हृदयष्वर हरी हृदाया बिहारी,
मोर मुकुट पीतांबर धारी,
बिनती सुनिए नाथ हमारी।।