Gayatri Mantra – गायत्री मंत्र हिंदी

जीवन में तीन प्रकार के दुख आते है. हमारे तीन शरीर है
स्थूल शरीर, सूक्षमा शरीर और कारण शरीर

इन सभी स्तरों में दुख आते है।
मानव को जीवन में इन तीनो स्तरों से परे जाना है यही गायत्री का अर्थ है।

जो भी भक्त इस मंत्र का जाप करता है वह सभी दुखो से पार जाता है
सनातन धर्मा में गायत्री मंत्र को सबसे बड़ा मंत्र माना जाता है।

गायत्री मंत्र हिंदी

ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ॥

ॐ : परब्रह्मा का अभिवाच्य शब्द
भूः :भूलोक
भुवः : अंतरिक्ष लोक
स्वः : स्वर्गलोक
त : परमात्मा अथवा ब्रह्म
सवितुः : ईश्वर अथवा सृष्टि कर्ता
वरेण्यम : पूजनीय
भर्गः: अज्ञान तथा पाप निवारक
देवस्य : ज्ञान स्वरुप भगवान का
धीमहि : हम ध्यान करते है
धियो :बुद्धि प्रज्ञा
योः :जो
नः : हमें
प्रचोदयात् : प्रकाशित करें।

Gayatri Mantra Ka Arth Kya Hai

” ईश्वर मुझमे व्याप्त हो जाए और ईश्वर मेरे सारे पापो का नाश कर दे”

“वह दिव्या ज्योति से सारे पपो को जला देती है – उस दिव्या ज्योति की मैं पूजा करू और उसमे ही समा जाऊँ “

हे ईश्वर मेरी बुद्धि को प्रेरणा दीजिए

गायत्री मंतरा में हम ईश्वर से प्रार्थना करते है की हमारे मन में अच्छे विचार आए.

हम ईश्वर से कहते है मेरी बुद्धि में आप ही विराजमान हो मेरी बुद्धि को आप ही प्रेरणा दे – “धियो यो ना प्रचोदयात “

” Ishwar Mujhme Vyapt Ho Jaye Aur Ishwar Mere Saare Paapo Ka Nash Kar De”

“Vah Divya Jyoti Se Saare Papo Ko Jala Deti hai – Uss Divya Jyoti Ki Main Pooja Karu Aur Usme Hi Sama Jaau”

Hey Ishwar Meri Buddhi Ko Prerna Deejiye

Gayatri Mantra Mein Hum Ishwar Se Pray Karte Hai Ki Hamare Man Mein Achhe Vichar Aaye.

Hum Ishwar Se Kehte hai Meri Buddhi Mein Aap Hi Virajmaan Ho Meri Buddhi Ko Aap Hi Prena De – “Dhiyo Yo Nah Prachodayat”

Dhee – Ka Arth Hai Buddhi – Meri Buddhi Ki Aap Hi Maarg Dikhaye Aur Prajwalit Kare.

Gayatri Mantra In English

Om Bhur Bhuva Swaha
Tat Savitur Varenyam
Bhargo Devasaya Dheemahi
Dhiyo yo Nah Prachodayat

Oh God! Thou art the Giver of Life,
Remover of pain and sorrow,
The Bestower of Happiness,

Oh! Creator of the Universe,
May we receive thy supreme sin destroying Light,
May Thou guide our intellect in the right direction.

Om Bhur Bhuva Swaha
Tat Savitur Varenyam
Bhargo Devasaya Dheemahi
Dhiyo yo Nah Prachodayat

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