राजस्थानी भजन कुण जाणे पराया मन री रे देसी भजन लिरिक्स
स्वर – श्याम पालीवाल जी
ए मन री है तन री,
लगन री रे,
ए भाया मन री है तन री,
है लगन री रे,
कुण जाणे पराया मन री रे,
कुण जाणे पराया मन री रे।।
ए रात उजियाली,
संता री सभा रे,
रात उजियाली,
संतों री सभा रे,
ओ ज्यारी लिवना लागी रे,
हरी रे नाम सु रे,
ए ज्यारी सुरता लागी रे,
हरी रे नाम सु रे,
कुण जाणे पराया मन री रे।।
अरे रात अंधीयारी,
आतो ए चोरा री सभा रे,
ए ज्यारी लिवना लागी रे,
पराया धन री रे,
ओ ज्यारी लिवना लागी रे,
पराया धन री रे,
कुण जाणे पराया मन री रे।।
हरी किरवा मे रेतो रेतो,
इन जुग मे रे,
हरी किरवा मे रेतो रेतो,
इन जुग मे रे,
अरे करलो भलाई वालो,
काम तो रे,
अरे करलो भलाई वालो,
काम तो रे,
कुण जाणे पराया मन री रे।।
ओगमदास भई जातरा मेणा रे,
ज्यारी लिवना लागी रे,
अलख रा नाम सु रे,
ज्यारी लिवना लागी रे,
अलख रा नाम सु रे,
कुण जाणे पराया मन री रे।।
ए मन री है तन री,
लगन री रे,
ए भाया मन री है तन री,
है लगन री रे,
कुण जाणे पराया मन री रे,
कुण जाणे पराया मन री रे।।
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