छोड़ जगत की बाता ने,
तू राम जी को नाम संभाल,
खो दियो कचरा में।।
राम नाम में मातो ठनके,
झूटी बातां में ऊबो कड़के,
आयोड़ो अवसर जाय,
बातां बातां में।।
थारी मारी में उमर बीती,
मिले नहीं लाभ बातां सब रीती,
भाया कर ले सुकरत काम,
मनख जमारा में।।
राजा रावण जरासंध देखो,
वाके अभिमानी को ठेको,
मर गया कुत्ता की मौत,
जो करड़ाई में।।
कर सेवा यो अवसर आयो,
मानव पद तूने मुश्किल पायो,
थने सतगुरु देवे ग्यान,
सत का शब्दा में।।
गोकुल स्वामी सतगुरु दाता,
दे उपदेश जीव जगाता,
लादूदास करे पुकार,
मौज फकीरी में।।
छोड़ जगत की बाता ने,
तू राम जी को नाम संभाल,
खो दियो कचरा में।।