राजस्थानी भजन भव बिन खेत खेत बिन बाड़ी जल बिन रहत चले बाड़ी
गायक – श्यामनिवास जी।
भव बिन खेत खेत बिन बाड़ी,
जल बिन रहत चले बाड़ी,
बिना डोरी जल भरे कुआँ पर,
बिना शीश की पनिहारी।।
सिर पर घडो घड़ा पर झारी,
ले गागर घर क्यु रे चली,
बिनती करु उतार बेवडो,
देखत देख्या मुस्काई।।
बिना अगन से करे रसोई,
सासु नणद की वो प्यारी,
देखत भूख भगे स्वामी की,
चतुर नार की चतुराई।।
बिना धरणी एक बाग लगायो,
बिना वृक्ष एक बेल चली,
बिना शीश का था एक मुर्गा,
बाड़ी में चुगता घड़ी-घड़ी।।
धनुष बाण ले चढ़ियो शिकारी,
नाद हुआ वह बाण चढ़ि,
मुर्गा मार जमी पर डारा,
ना मुर्गा के चोट लगी।।
कहत कबीर सुणो भाई साधो,
ये पद है निर्वाणी,
इन पद री जो करे खोजना,
वो ही संत है सुरज्ञानी।।
भव बिन खेत खेत बिन बाड़ी,
जल बिन रहत चले बाड़ी,
बिना डोरी जल भरे कुआँ पर,
बिना शीश की पनिहारी।।
- छायें गम के अँधेरे भी हो श्याम भजन लिरिक्स
- अरे जालौरी रा नाथ अर्ज म्हारी सुन लिजो
- नज़रे श्याम से है जबसे मिलाई कश्ती भंवर से पार हुई
- ना मैं फूल लाया हूँ ना प्रसाद लाया हूँ भजन लिरिक्स
- ना मैं मीरा ना मैं राधा भजन लिरिक्स
Pingback: याद आ रही है खाटू श्याम भजन लिरिक्स – Bhajan Collections
Pingback: सभी भजन लिरिक्स | Sabhi Bhajan Lyrics – Bhajan Collections
Pingback: bhajan lyrics in hindi – Bhajan Collections