श्यामा आन बसों वृन्दावन में भजन लिरिक्स

।। दोहा ।।
दास द्वारका जा रहा, संग ले चावल पोट।
कृष्ण हमारा मित्र है, जरा न करियो खोट।

श्यामा आन बसों वृन्दावन में ,
मेरी उमर बीत गई गोकुल में।

श्यामा रस्ते में बाग़ लगा जाना ,
में फूल बिनुंगी तेरी माला के लिये।
में बात निहारु कुंजन में ,
मेरी उमर बीत गई गोकुल में।
श्यामा आन बसों वृन्दावन में ,
मेरी उमर बीत गई गोकुल में। टेर।

श्यामा रस्ते में कुआ खुदवा जाना ,
में तो नीर भरूंगी तेरे लिये।
में तुझे नहलाऊं मलमल के ,
मेरी उमर बीत गई गोकुल में।
श्यामा आन बसों वृन्दावन में ,
मेरी उमर बीत गई गोकुल में। टेर।

श्यामा मुरली मधुर सुना जाना ,
मोहे आके दर्श दिखा जाना।
तेरी सूरत बसी है अखियन में ,
मेरी उमर बीत गई गोकुल में।
श्यामा आन बसों वृन्दावन में ,
मेरी उमर बीत गई गोकुल में। टेर।

श्यामा वृन्दावन में आ जाना ,
आकर के रास रचा जाना।
सुनी गोकुल की गलियन में ,
मेरी उमर बीत गई गोकुल में।
श्यामा आन बसों वृन्दावन में ,
मेरी उमर बीत गई गोकुल में। टेर।

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श्री कृष्ण के भजन हिंदी में लिखे हुए
भजन :- श्याम आने बसों वृन्दावन में
गायिका :- तृप्ति शाक्य

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