राजस्थानी भजन सिमरुला शारद माय सिमरुला सरस्वती
गायक – जोग भारती जी।
सिमरुला शारद माय,
सिमरुला सरस्वती,
लागु गजानन्द पाय,
गुरुजी ने निमण करु,
अरे रंग मेल मे हाल,
फुलड़ो री सेज वसी,
थोड़ो ग्यान कोकड़े हाल,
सुखमणा री सेज वसी,
गुरु बिना मलिया नी ग्यान,
भजन बिना मुक्ति नही रे हा।।
नही देवलिया में देव,
झालर कुटो मती,
धुप ज्योरो अग्न जले,
वासना तो पवन बखी,
सुरता रंग मेल मे हाल,
फुलड़ो री सेज वसी,
थोड़ो ग्यान कोकड़े हाल,
सुखमणा री सेज वसी,
गुरु बिना मलिया नी ग्यान,
भजन बिना मुक्ति नही रे हा।।
नही नेणो में तेज,
आलसी री गरज केसी,
दिन रेण एकण भाव,
भोण भले उगो मती,
सुरता रंग मेल मे हाल,
फुलड़ो री सेज वसी,
थोड़ो ग्यान कोकड़े हाल,
सुखमणा री सेज वसी,
गुरु बिना मलिया नी ग्यान,
भजन बिना मुक्ति नही रे हा।।
अरे नही भजो में जोर,
सूरो संग चढो मती,
भीड़ पड़े भाग जाय,
बगतर री गरज केसी,
सुरता रंग मेल मे हाल,
फुलड़ो री सेज वसी,
थोड़ो ग्यान कोकड़े हाल,
सुखमणा री सेज वसी,
गुरु बिना मलिया नी ग्यान,
भजन बिना मुक्ति नही रे हा।।
डगमग डुले जीव,
हरी भक्ति झेलो मती,
तत बिना मलियो नी राज,
बोल्या गोरख जती,
सुरता रंग मेल मे हाल,
फुलड़ो री सेज वसी,
थोड़ो ग्यान कोकड़े हाल,
सुखमणा री सेज वसी,
गुरु बिना मलिया नी ग्यान,
भजन बिना मुक्ति नही रे हा।।
सिमरुला शारद माय,
सिमरुला सरस्वती,
लागु गजानन्द पाय,
गुरुजी ने निमण करु,
अरे रंग मेल मे हाल,
फुलड़ो री सेज वसी,
थोड़ो ग्यान कोकड़े हाल,
सुखमणा री सेज वसी,
गुरु बिना मलिया नी ग्यान,
भजन बिना मुक्ति नही रे हा।।
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