चलना शिव जी के दरबार,
करते सबका बेड़ा पार,
कामद नगरी में जिनका,
बसा है प्यारा घर।।
कामदनगरी में श्री राम जी है आये,
माता शबरी के फल चाव से वो खाये,
माँ की आंखों में जलधार,
प्रभु को दिखती बार-बार,
कामद नगरी में जिनका,
बसा है प्यारा घर।।
कितना सुहाना लगता पावन परिक्रमा,
कितना लुभाना लगता पावन परिक्रमा,
जिनके दर पे बार-बार,
आते लाखों लोग हजार,
अदभुत नगरी में जिनका,
बसा है प्यारा घर।।
चलना शिव जी के दरबार,
करते सबका बेड़ा पार,
कामद नगरी में जिनका,
बसा है प्यारा घर।।
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