गर सांवरे से मेरी पहचान नहीं होती
गर सांवरे से मेरी,
पहचान नहीं होती,
होठों पे आज मेरे,
मुस्कान नहीं होती,
ये हाथ ना पकड़ता,
तो दर बदर भटकता,
ये जिंदगी भी इतनी,
आसान नहीं होती,
गर साँवरे से मेरी,
पहचान नहीं होती,
अपनों के बीच रहकर,
भी हम तो थे अकेले,
हर ओर सिर्फ देखे,
रिश्तों के झूठे मेले,
ये दिन अगर ना आते,
हम कैसे जान पाते,
अच्छे बुरे की हमको,
पहचान नहीं होती,
गर साँवरे से मेरी,
पहचान नहीं होती,
हमने बना ली बाबा,
झूठे जहां से दूरी,
इस जिंदगी में केवल,
बस श्याम है जरूरी,
जिस बाग का तू माली,
रहती वहां हरियाली,
पतझड़ में भी वो बगिया,
वीरान नहीं होती,
गर साँवरे से मेरी,
पहचान नहीं होती,
जीवन में मुश्किलों का,
रहता है आना जाना,
‘माधव’ वही है सच्चा,
मेरे श्याम का दीवाना,
तूफान से जो लड़ता,
बेखौफ आगे बढ़ता,
कमजोर साँवरे की,
संतान नहीं होती
गर साँवरे से मेरी,
पहचान नहीं होती,
गर सांवरे से मेरी,
पहचान नहीं होती,
होठों पे आज मेरे,
मुस्कान नहीं होती,
ये हाथ ना पकड़ता,
तो दर बदर भटकता,
ये जिंदगी भी इतनी,
आसान नहीं होती,
गर साँवरे से मेरी,
पहचान नहीं होती,
Bhajan Singer – Nisha Dwivedi
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